फौजी दगड़िया भाग -१

फ़ौजी कितना अलग सा अर्थ और अहसास हैं ना इस शब्द का, फौज का अर्थ तो सेना से हो गया लेकिन फ़ौजी का अर्थ?
जो भी हो लेकिन इस शब्द से जुड़ा अहसास और हर वो भारतीय व्यक्ति जो अपने देश से प्रेम करता है उसका इस शब्द से परिचय ।

है क्या आखिर इस शब्द में ऐसा जो जब भी फ़ौजी सुनते हैं तो देशप्रेम अपने आप जागने लगता हैं।

कौन हैं ये फौजी एक हमारी तरह ही तो इंसान हैं फिर ये शब्द इतना खास क्यों ?

हम सब की तरह फौजी भी तो अपना काम ही तो कर रहा हैं। फिर फ़ौजी ये शब्द अलग क्यों ? इसका अहसास सब से अलग क्यों ?

नहीं फ़ौजी भले शरीर की बनावट में हमारी तरह हो लेकिन एक फ़ौजी क्या है और क्या उसके इस काम में खास हैं । हम कभी नहीं समझ सकेंगे। इस अहसास को केवल फौजी ही समझ सकता हैं।

फौजी जो हमारे बीच से निकले वो जुनूनी हैं जिनका जुनून ही एक ऐसा है जो हम सब से अलग हैं हम सब से अधिक हैं वो भी देश के लिये, भारत माता के लिए , उसके स्वाभिमान के लिये, हमारी इस आज़ादी को कायम रखने के लिये।.......
एक हमारा जुनून है बस अपने लिये.... अपने इन पानी के बुलबुले सी चाहतों के लिये....... जिनके लिये हम किसी भी हद्द तक गिर सकतें हैं और गिर रहें हैं।

जुनून जिनका देश के लिये होता हैं इस तिरंगे के लिए होता हैं , हम 125करोड़ से ज्यादा देशवासियों की स्वाभिमान की रक्षा को होता हैं,हमारे सुख चैन अमन के लिये होता है वहीं जुनूनी फौजी है.।

उनका यही जुनून है जो उन्हें हम 125 करोड़ देशवासियों में खास बनाता हैं।

उनका हमारे लिये यही जुनून हैं जो उन्हें सियाचिन में माइनस -60℃ में जिंदा रखता हैं उनका यही जुनून हैं जो उन्हें छाती पर गोली लगने के बाद भी उस तिरंगे के  सम्मान के लिये उन्हें सीमा पर  रोके रखता हैं । उनका यहीं जुनून हैं जो जीते जी तो होता हैं वीरगति को प्राप्त होने के बाद भी सीमा पर देश के लिये उन्हें खड़ा रखता हैं,,,,,

हमें 10℃ में ठंड लगती हैं वो सियाचिन में रोज -60℃ में खड़े हैं। हम 32℃ पर गर्मी से बेहाल हो जाते हैं वो जैसलमेर में 50℃ में सीमा पर खड़े हैं।

अपने देश और देशवासियों के लिये हर मुसीबत में सबसे पहले खड़े होने का जुनून हैं फौजी ।

एक कभी ना रुकने ना थकने का जुनून है फौजी।

फौजी बनने का सपना देखना ही कोई आसान काम नहीं हैं पूरा करने में तो इसे एक हद्द से बाहर की मेहनत लगती हैं।

मैं खुशनसीब हूँ जो उस उत्तराखंड से हूँ जहाँ हर पैदा होने वाले लड़के-लड़की का सपना होता है फौजी बनना। शायद ही ऐसा कोई होगा जिसने कभी फौजी बनने का सपना ना देखा हो और उसे पूरा करने की कोशिस ना कि हो। फौजी बनना और केवल फौजी बनने के सपने तक ही रह जाना अलग बात हैं। लेकिन मुझे गर्व हैं में उस उत्तराखंड से हूँ जहाँ हमें बचपन से अपने लिये बाद में पहले देश के लिये जीना सिखाया जाता हैं।

जब पहाड़ का नौजवान फौजी बनने का सपना संजोया हैं और उसे पूरा करने की कोशिस करता हैं तो तब भी फौजी बनने का सफ़र इतना आसान नहीं होता हैं।

पहाड़ जो हमें हमेशा ऊँचा मुकाम हासिल करने की प्रेरणा देतें हैं वही पहाड़ हमें उस मुकाम के लिये हर संघर्ष को भी विवश करतें हैं।

एक फौजी बनने के लिये रोज सुबह अंधेरे में उठ कर अंधेरे में उन पहाड़ी रास्तों से झाड़ियों से उन थका देने वाली चढ़ाइयों से उन गहरी खाई वाली उतराइयों से उन शेरों के बीच से होकर रोज रोज कई महीनों कई सालों तक के अभ्यास से , साथ में रोज के उस कठिन पहाड़ी घरेलू काम को करने के बाद जाकर। फिर  कहीं फौज  के सपने की ओर एक कदम बढ़ता हैं।

फिर भी एक जुनून जो होता हैं वो ही हमारी हिम्मत होता हैं वही हमारे लिए सब कुछ होता हैं

कैसे होता हैं फौजी बनने का सफर एक पहाड़ी नौजवान के लिये और कितने सपने दम तोड़ते हैं.....
जारी रहेगी .........

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