वो ना जानें क्युँ
वो ना जाने क्यों( क्युँ ) इस तरह अपना चेहरा हम से छुपाती हैं| हर वक्त क्यों अपनी परछाई में वो ही नजर आती हैं| मिलने को इस जमानें में लाखों मिल गयी थी हमें पर एक वही हैं जो लाखों के स...
स्वागत चा आपकु मेरा ब्लॉग मा जख आप तें मैं अपणी तरफ बटी हिन्दी अर गढ़वाली मा आपका मनोरंजन की कोशिस कल्लू।। आपकु अपणु शुब्बी ॥ उत्तराखण्डी गढ़वाली और हिंदी कहानियों ,कविताओं , शायरी को पढ़ने के लिये बाड़ूली ब्लॉग में आपका अभिनंदन हैं।