आँखियों मा तू बसी च रे
आँखियों मा तु बसी चा रे साँसों मा तु रमी छे रे सुपिणीयों तें दिल मा बसे जा रे जिंदगी ते माया का रंगों से सजे जा रे पंछी बणी द्वी उड़ी जोला मेरु हाथ थामी जा रे। एजा रे ऐजा रे...........ऐजा र...
स्वागत चा आपकु मेरा ब्लॉग मा जख आप तें मैं अपणी तरफ बटी हिन्दी अर गढ़वाली मा आपका मनोरंजन की कोशिस कल्लू।। आपकु अपणु शुब्बी ॥ उत्तराखण्डी गढ़वाली और हिंदी कहानियों ,कविताओं , शायरी को पढ़ने के लिये बाड़ूली ब्लॉग में आपका अभिनंदन हैं।