पश्चात्ताप भी जरूरी है
Baaduli उस मोड़ पर बहुत देर तक रुका रहा इंतजार में की कोई आवाज़ देकर रुकवा दे। दिमाग में विचारों की अजीब से उधेड़ बुन चल रही थी । दिल जहां अभी भी उम्मीद में था की उसकी कोई धड़कन तेज हों, वो कान में उनकी शहद सी मिठास लिए वाणी को सुनने के लिए आतुर थे। वही एक उधेड़बुन ये थी कि अगर यही अपनापन होता तो कोई यूं देख कर नजरंदाज नहीं करता की यही 2 पल की मुलाकात आखरी है ।। उन दो पलों में अब तक के सब गीले सिकवे मिटा कर हमेशा के लिए अलविदा कहना है ।। शायद कभी अब मुलाकात हो । और अगर हुई भी तो कौन किस से कैसे मुलाकात कर पाएगा और कैसे कोई नजरें मिला पाएगा । जिन आंखों में हमेशा प्यार भरा होता था शायद उनमें अब सूखे आंसुओ से ज्यादा कुछ ना, दर्द भले कोई लाख छुपा कर मुस्कुरा ले पर दिल से तो वो हर मरता रहेगा ।। अंत होना जरूरी था, हर रोज धीरे धीरे मरने से एक बार में ही उस दर्द को चर्म तक ले जाओ , अंत की सीमा से अधिक जब दर्द हो तो मस्तिष्क , दर्द को समझना बंद कर देता है।। उस चेहरे के दीदार के लिए जिसके सिवा कोई और ही नजर ना आए । उन धड़कनों की आहट को जिन स...