फेसबुक वाला इश्क़ भाग-3

रोहन को पता चल गया था राधिका और उसका अब शायद ही इस जन्म में अब थोड़ा ही साथ  है।

लेकिन जिस से रोहन ने सच्चे दिल से प्यार किया हो उसे ऐसे कैसे अपनी आंखों के सामने मरने दे ।रोहन ने हर प्रकार की कोशिस की पता किया किस तरह से राधिका की जान बचायी जाय ।
इधर राधिका अब बिल्कुल अपने बचने की उम्मीद खो चुकी थी।

रोहन एक दिन वैशाली के साथ राधिका से मिलने उसके घर गया राधिका को देख कर रोहन बहुत ज्यादा रोता हैं राधिका जो अब तक बिल्कुल ही टूट गयी थी उसे यकीन नहीं हो रहा था रोहन जिसे वो केवल facebook से मिली थी उसके लिये यहाँ तक आजायेगा। रोहन से राधिका कहती हैं रोहन मैं इस जन्म में तुम्हे अपना नहीं बना सकती ना तुम्हारी हो सकती हूँ लेकिन मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूँगी तुम्हे कभी भी मेरी कमी महसूस नहीं होगी।
इतना कहते राधिका रोने लगती हैं रोहन और वैशाली भी रोने लगते हैं रोहन ने राधिका के हाथ को अपने हाथ में पड़कर कहा राधिका तुम हौसला रखो मैं तुम्हें कुछ नहीं होने दूँगा।

रोहन खुद भी नहीं जानता था कैसे वह राधिका की जान बचायेगा । लेकिन रोहन ने अब थान ली थी वह कैसे भी कर के राधिका की जान बचायेगा ।।

आखिर रोहन को अब राधिका को अलविदा कह कर जाना होता हैं रोहन और राधिका दोनों सोचते हैं काश ये वक़्त यहीं थम जाता तो कितना अच्छा होता ।

रोहन राधिका को हौसला देकर वैशाली के साथ राधिका के घर से चला जाता हैं ।

रोहन वैशाली से कहता हैं वैशाली देखना मैं राधिका को कुछ नहीं होने दूँगा।

वैशाली रोहन से कहती हैं रोहन मैं भी तुम्हारे साथ हूँ मैं मेरी कुछ भी जरूरत हो मुझे बस एक आवाज़ देना मैं तुम्हारे पास खड़ी मिलूंगी ।।

रोहन अब वापस नौकरी ना जाकर हॉस्पिटल की तरफ चला जाता हैं जहाँ रोहन डॉक्टरों से मिलकर जानकारी लेता हैं लेकिन मुसीबत यह थी राधिका को उसके  हार्ट ट्रांसप्लांट के लिये जल्द से जल्द हार्ट की जरूरत थी या कहें राधिका बस कुछ दिनों की मेहमान थी।  राधिका  को बचाने के लिये स्वस्थ हार्ट की आवश्यकता हैं और सब से मुश्किल यह हैं कि देश में हार्ट मिलना बहुत मुश्किल हैं राधिका को हार्ट उसके जानने वालों में से कोई अगर दे सकता हैं तो तभी शायद राधिका की जान बच सकती हैं ।

रोहन अब शहर के सभी हॉस्पिटल में पता करता हैं लेकिन सभी जगह से एक ही जवाब मिलता हैं रोहन टूट चुका होता हैं रोहन के पास अब ना तो पैसे थे ना ही रहने का ठिकाना । अब रोहन के सभी दोस्त रोहन का साथ छोड़ चुके थे रोहन भी अंदर से टूट चुका था।

रोहन आधी रात को सड़क पर शराब की बोतल लिये नशे की हालत में आती जाती गाड़ियों से जैसे तैसे बच रहा था हर कोई गाड़ी वाला रोहन को कुछ ना कुछ कहता लेकिन रोहन उन्ही से उलझ जाता।

पुलिस भी वहां पहुंच गयी थी रोहन को पुलिस थाने ले गयी पूछताछ की लेकिन रोहन केवल राधिका राधिका एक ही नाम ले रहा था।

रोहन के फोन पर बार बार कॉल आ रही थी ।

आखिर पुलिस इंस्पेक्टर ने फ़ोन रिसीव किया और रोहन की जानकारी दी ।

कुछ ही देर बाद रोहन को सलाखों से आज़ाद किया गया । उन्हें लेने एक काफी अधेड़ उम्र के इंसान आये थे जो रोहन को अपनी गाड़ी में अपने घर ले गये।
घर पहुंचते ही रोहन को उन्होंने एक कमरे में लेता दिया रोहन नशे में था जो बेड पर लेटे ही सो गया था।

सुबह जब नींद खुली तो रोहन का पूरा शरीर दर्द कर रहा था सूरज की रोशनी रोहन की आंखों को चुभ रही थी।
रोहन को कुछ याद नही था रोहन कहाँ है।

कुछ देर बाद वैशाली रोहन के कमरे में आती है ये वैशाली का घर था और वैशाली रोहन को बताती हैं कल जब लगातार तुम्हें कई बार फ़ोन किया लेकिन तुमने नहीं उठाया । आखिर में इंस्पेक्टर ने जानकारी दी कि तुम्हें नशे की हालत में सड़क से थाने ले गये हैं तब वैशाली के पापा उसे लेने गये थे।

वह वैशाली के पिता थे जो रोहन को लेने गये थे।
वैशाली उनकी इकलौती बेटी थी जो उनकी उम्र के 45 वे साल में हुई थी और कुछ ही समय बाद वैशाली की माँ चल बसी थी वैशाली के पापा ने ही उसको बड़े लाड़-प्यार से पाला हैं वैशाली की हर छोटी खुशी उनके लिए मायने रखती हैं।

कुछ देर बाद रोहन नहा धोकर घर से निकलने लगता हैं रोहन को राधिका के पापा कहतें हैं बेटा मुझे तुम्हारे बारे में सब कुछ पता हैं वैशाली ने मुझे सब बता दिया हैं । तुम जब तक चाहो मेरे घर मे रह सकते हो और मैं यह तुम पर अहसान नहीं कर रहा हूँ ये मेरी बेटी की भी इच्छा हैं बस उसे पूरा कर के अपना फर्ज निभा रहा हूँ।

रोहन और वैशाली के पापा काफी देर बातें करतें हैं रोहन के बारे में काफी जान चुके थे तब तक ।

तभी वैशाली ने रोहन को कहा जल्दी से मेरे साथ चलो और गाड़ी स्टार्ट कर के रोहन को बैठने को कहती हैं।

बेटा कहाँ जा रही हो ? वैशाली के पिता पूछते हैं

पापा आप को वापस आकर के बताती हूँ।

रोहन भी जानना चाहता था आखिर इतनी जल्दी वैशाली अचानक से उसे लेकर कहाँ जा रही हैं लेकिन पूछ नहीं पाता हैं क्योँकि रोहन कल रात की घटना के बाद अब वैशाली से निगाहें नहीं मिला पा रहा था।

गाड़ी को बड़ी तेजी से चलाते हुए वैशाली कुछ ही देर में हॉस्पिटल पहुँच गयी थी गाड़ी रोक कर वैशाली जल्दी से उतर कर हॉस्पिटल के अंदर चली जाती हैं रोहन भी उसके पीछे चलने लगता हैं। नर्स से कुछ पूछ कर वैशाली ICU की तरफ जाती हैं जहां बाहर राधिका के पापा बैठे थे।

तब तक रोहन भी रोहन भी वहाँ पहुँच जाता हैं अब रोहन भी सब कुछ समझ गया था रोहन स्तब्ध सा खड़ा हो जाता हैं कुछ देर में राधिका के पिता को नर्स अंदर बुलाती हैं रोहन और वैशाली भी अंदर जाना चाहते थे लेकिन गार्ड उन्हें बाहर ही रोक देते हैं ।

कुछ देर बाद जब राधिका के पिता बाहर आतें हैं और कहते हैं राधिका अब मुश्किल ही बचेगी।

रोहन और वैशाली रोते हुए एक दूसरे को सहारा देतें हैं ।

कुछ देर में वैशाली फ़ोन पर बात करते हुए वहां से निकल जाती हैं।

एक रात रोहन ने भी राधिका के पिता के साथ वहीं हॉस्पिटल में गुजारी लेकिन पल पल हर पल उसे एक ही डर सता रहा था।

अगले दिन राधिका के पापा को डॉक्टर अपने साथ ले जाकर कुछ बातें करतें हैं। और अब राधिका को ऑपरेशन कक्ष में ले जाया जाता हैं ।

ऑपरेशन रूम की लाल लाइट ऑन हो जाती हैं लेकिन रोहन कि समझ में कुछ नहीं आरहा था यहाँ हो क्या रहा हैं ।
और किसी से कुछ पूछने पर कोई जवाब नही मिलता हैं 4 घंटों के इंतजार के बाद डॉक्टर बाहर आकर कहतें हैं बधाई हो ऑपरेशन सफल रहा और सभी में खुशी की लहर दौड़ पड़ती हैं एक दूसरे को गले लागातें हैं ।

कुछ ही देर में बेहोसी की हालत में  राधिका को icu में कक्ष में भेजा जाता हैं ।।

रोहन भी बहुत खुश था होता भी क्योँ नही जिसके लिये उसने कितने मंदिरो में प्रार्थना की वो पूरी हो गयी हैं।

साथ मे ऑपरेशन कक्ष से एक स्ट्रेच पर सफेद चादर से ढकी हुई एक मृत शरीर को शव कक्ष की तरफ ले जाया रहा था।

लेकिन अचानक उस समय उस लाश के मुख से चादर हट जाती हैं और ये देख कर रोहन की आँखे फटी सी रह जाती हैं। उसकी आँखों में आँशु आ जाते हैं और वो दौड़ कर उसके पास जाता हैं और उस से लिपट कर रोने लगता हैं अब रोहन सब कुछ समझ गया था ।

वो और कोई नहीं वैशाली थी ।

तभी वैशाली के पिता भी वहीं पहुंच जातें हैं और अपनी बेटी को देख कर रोने लगते हैं और रोहन से लिपट कर  उसके सिर पर हाथ फेर कर रोहन को एक कागज का टुकड़ा पकड़ा देतें हैं। और वैशाली की लास को लेकर वहां से चले जाते हैं।

रोहन अब उस कागज को पढ़ कर रोने लगता हैं वो वैशाली का आखरी लिखा हुआ खत था जो रोहन के लिये था। जिसमे रोहन लिखा था  रोहन में तुम से अपने प्यार का इज़हार ना कर सकी क्योंकि तुम मेरी सहेली के प्रेमी थे अगर तुम्हें में पहले ये बात कहती तो शायद तुम और राधिका मुझे खुदगर्ज समझते और हमारे बचपन की दोस्ती और मेरा प्यार दोनों को मैं खो देती ।।
मुझे पता हैं तुम राधिका से अपनी जान से ज्यादा प्यार करते हो और मुझे कभी स्वीकार नहीं करते । मैं भी तुम से सच्चा प्यार करती हूँ। किन्तु राधिका के दिल की जगह अपना दिल देकर शायद मेरे दिल का तुम्हें प्यार करने की तम्मना पूरी हो जाये। भले मैं जीवित रह कर कभी तुम्हारी नहीं हो सकती लेकिन मर कर तुम्हें हासिल कर सकती हूँ मेरा दिल सदा तुम्हें ही चाहेगा ।
बस ये बात हो सके तो राधिका को कभी मत बताना।  वैशाली

इतना पड़ते ही रोहन फुट फुट कर रोने लगता हैं और जल्दी से दौड़ कर वैशाली के मृत शरीर  से लिपट कर रोने लगता हैं।।।।।

              समाप्त
आपकु अपणु - शुब्बी

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

श्री घण्टाकर्ण गाथा - १

श्री घण्टाकर्ण गाथा २

दिन का चैन रातों की नींद तुम चुरा लो।।कुछ यूं निग़ाहें तुम हम से मिला लो ।।ये बेगाना भी अपना हो जाये तुम्हाराकुछ यूँ मेरे हाथों को अपने हाथों में थाम लो।।