खुदयां मसाण
पर्सी शहर बटीं औंण का बाद बटीं भैजी कु बुखार अर हाथ खोटों पीड़ा कम नि छे होणी दारू अर दवाई भी करायली छे पर भैजी अभी भी परेशान छा। बड़ा समय का बाद त भैजी आपरा घौर आयी छा परदेश बटीं ...
स्वागत चा आपकु मेरा ब्लॉग मा जख आप तें मैं अपणी तरफ बटी हिन्दी अर गढ़वाली मा आपका मनोरंजन की कोशिस कल्लू।। आपकु अपणु शुब्बी ॥ उत्तराखण्डी गढ़वाली और हिंदी कहानियों ,कविताओं , शायरी को पढ़ने के लिये बाड़ूली ब्लॉग में आपका अभिनंदन हैं।