दादा कु हुक्का बोडा की बीड़ी
ब्याकुनी बगत तिबारी मा बैठाया चेतु भैजी हाथ मा चा कु गिलास पकड़ी क चा प्योंण लगया छा त वख बटिन हरषु बोड़ा भी पीठी उन झोला अर हतियों मा रविंस की लाठी पकड़ी बाटा लगया छा चेतु भैजी बोड़ा जी तें चा प्योंणों बोल्दीन।। त बोड़ा जी रुकी जांदीन ।।
हरषु बोड़ा कु कोट जु की चुला की लखड़ियों मा फुक मारी मारी धुवन्या अर खारण खारेंणय होयु छो वेका किस्सा उन कुछ खोजना छा पर जु बोड़ा तें नि मिली तबरी चेतु भैजी चा लए तें औंदीन ....
बोड़ा जी चा पेंदीन अर फिर आपरी किस्सी जबकोंण लग जांदीन पर फिर कुछ नि मिलदु । त चेतु भैजी पुचडू बोड़ा क्या खुजयणा छा ।।
बोड़ा कुछ नि सुनदींण बस आफु मा कुछ बड़बड़ करि कुछ बुबड़ानीण ।।
खैर तबरी चैतु भैजी द्वी बीड़ी सुलगोंदीन एक हरषु बोड़ा तें पकड़े बोल्दीन ल्या बोड़ा बीड़ी खा जरा।
यी ब्याखनी बगत कख छा बाटा लग्या तुम ।।।
बस बबा जरा तों दुकानियों तरफ़ जरा बीड़ी तंबाकू की पिंडी तें। पर ब्बा किस्सा उन जरा 20 30 रुपया छा जख पड़ी होला ।। मिलना का निन ।।।
क्वी बात नि बोड़ा में दुनंढि देलु बाद मा जरा मैं दुकानियों छों जाणु तुम यमु बैठा मैं जरा औन्दु अर अभी फिक्र ना करा में लायेन्दू बीड़ी तुमुक भी ।। जरा तुम मेरा घौर का ग्वेर बण जा मैं अभी औन्दु ।।
चैतु भैजी जु की हरषु बोडा की चारयूं यखुली ही रौंदीन अपरा घौर मा ।। बेटा ब्वारी देहरादून बस्या छं .।।।।
पर क्या ह्वे त चैतु भैजी सोचदु।।। बेटा त सरहद पर च पर ब्वारी अर नाती नातिना अब कभी कभी ही औंदीन घौर छुट्टियों मा पर औंदी त छं हरषु बोडा का बेटों का चरियों त निन जु बरसों बाटिन घौर नि बौडीन , बोडी त कबरी भग्यान ह्वेगी पर पिछाड़ी रेगी यू बोडा जु आज ज्युणु त च पर कैकी आश अर कैकी जग्वाल मा जै मु ब्याखनी सुबेर चुल्ला उन द्वि बीज अनाज़ का निन वेमु बीड़ी तंबाकू तें रुपया कखे होणीन । हाँ दूर कखि बेटुली चा कभी कभी साल छे मैना मा ब्बा का हाल चाल देखण आयी जांदी पर विं भी कटग्या देखण ।।
इटग्या सालु बटीं देखण लगी चा बाबा का अपणा जब भी औंदी पूरा साल भर कु खाणो रौंणों कर देंदी दुकानियों मा भी बोलयूं च ब्बा तें सभी कुछ दी दयँ जु भी होलु में देखलु बाद मा ।।
बोडा तें एक नौनी त चा जु हमेशा नवें-ध्वे लती कपडी सभी कुछ भलु करि रोखदी , बोड़ा तें रोज आपर दगड़ा अपरा घौर चलण्क बोल्दी पर बोडा वख जाण क भी तैयार नि पर आपरी जगा बोड़ा भी ठीक च आपरी घौर कोणी आपरी होंदी जु मर्जी करा बिराणा यख तन कख ह्वे सकदू जन अपरा यमु होंद ।।।
चैतु भैजी यू सोचदु सोच्दु दुकान पहुंची गयी । दुकान मा बटीं बीड़ी अर हुक्का का तम्बाकू की पिण्डी का दगड़ा आज थोड़ा चा चिन्नी भी दगड मा बोडा कु रोखि देन्दु।।
बोडा तें ब्याखिनि वक़्त घौर छोड़ि औंण का बाद चैतु भैजी थोड़ा अपरा खाणों की तैयारी करदूँ । त ध्यान आयी आज पुन्गडी बटीं जु तेंडु(शक्करकंद) खोदी छो वेकि भुज्जी जरा नवाग कु बोडा भी नि दिनी बोडा जु का गैल ना जाणि कै-कै बौण अर भ्योल-बिट्टा टेडु , ग्वीर्याल , अर ना जाणि कै-कै धाणी का बाना सेरी उम्र दगडी ग्यां ।। भोल सुबेर बोड़ा तें भुज्जी जरूर देंण।।
चैतु भैजी आपरी तिवारी का एक कोणा पर हुक्का पेण लगदु त याद औंदी कभी दादा कु हुक्का कु गुग्डाट सुणी हम भी लुकी क दादा कु हुक्का खत्म होणो जग्वाल करदा छा अर जनि दादा जनि यथ-वथ होंद छा हम भी दादा कु हुक्का पेंदा छा हरषु बोड़ा न कति दूँ पकड़ी छा पर शुक्र रे आफु ही हितराडी(डाँट कर) छोड़ी दिनी छा । ।
हाँ बोड़ा न त कई दूँ कयी उबदरी(शैतानी) पकड़ी केइ बार कंडाली भी लगे त केयी बार प्यार सी भी समझाया बुथयाँ । दादा कु हुक्का कु तंबाकू अर बोडा की बीड़ी लेओणों केयी दूँ बोडा का दगड मा दूर जांद छा वे वक़्त अर बोडा कभी 1 आना की गोली भी खले देंदा छा।। हाँ आना पैसा ही होंद छो वे बकत अर दगड़ि अपरा भेर परदेस नौकरी तें भी वे टैम(time) बोडा ही लीगी छा।।
बस हुक्का की गुड़गुड़ का आवाज़ का दगड़ा ही यी याद रैयी गिन अब त ।।। सोच्दु सोच्दु चैतु भैजी खुदेंण लगी हुक्का की शाज़ का अंगारु का दगडी चैतु भैजी का जिकुड़ा की आग भी छे सुलगणि जु हरषु बोडा का लड़ीक का बारा मा सोची बडांग् की झौल की चारयूं छे सुलगणि ।।
यिं झौल मा हवा कु काम कनि हरषु बोडा का नौना की याद का दगड़ा चैतु भैजी सेई जन्दन।।।।।
सुबेर चैतु भैजी जब बोडा सी मिल्दीन त दगड़ा मा वमु एक गौं कु नौनु छो आयु वे सी पता चली की हरषु बोड़ा का लड़का का मुम्बई अर दिल्ली मा 2-2 फ्लैट छं अपरा अर ब्वारी अर लड़कों की भी आपरी कार छं। उ क्या बोल्दीन बल Suv कार ।। अर अभी त आजकल भैजी मनाली घुमणा सेरी कुटुम्बदरी का दगडी।
आज ही फेसबुक अर व्हाट्सएप पर स्टेटस पोस्ट करयूं छो या फ़ोटो देखा ।। चैतु भैजी अर हरषु बोडा तें फोटो दिखोन्दू ।।
चैतु भैजी बोल्दीन अरे नोना जब तेरी बात ह्वे जांदी त जरा बोडा दगडी बात करें दी हमारा फोन सी त कभी नंबर लगदु भी नि अर हम मु वेकु न्यू पुराणु नम्बर भी नि।।
ठीक च त ल्या बोड़ा मेरु स्पीकर खोलयूं बात करा।।
पहली जरा में करदूँ
थोड़ा रमा रामी का बाद बोडा मु फोन देन्दु ।। बोडा का आँखियो मा आज खुशी का आँशु चा ना जाणि आज कति वर्षो मा अपर लड्यूट की मुखड़ी देखी अर बाच सुणी छें।।
थोड़ा हाल चाल का बाद बोडा नौना क घौर आणो बोल्दीन त जवाब सुणी बोडा जिन्दी जी मरगी छौ ।।
सेरु बुढ़ापा जी आश मा काटणु छो जिं मुखुड़ि देखण तें यिं आँखि आज तक नि बुझए छे उ सिर्फ द्वी शब्द सुणी की की बाबा जी आप त जांणदी ही छं की मेंमु 1 घंटा कु समय नि च अर दगड़ा मा बच्चों की स्कूल कॉलेज की फीस ही पूरी नि होंदी अर छुट्टी भी निन त कखे औंण ।। द्वी पैसा की त मेरी नौकरी छा खर्चा ही मुश्किल सी चलणु आप तें बस घौर औणे लगी तन भी क्या च धरयु तख।।
यूँ शब्द सुणी सब कुछ खत्म सी ह्वेगी छो ।।
बस तेरु बालपन अर तेरी समलोंण , तेरी याद , तेरी किलकारी, तेरी अर मेरी याद , तेरु गवल्या लगनु अर गैलयों का गैल की याद रखीं छं यख।।
हाँ काकर मा तेरा दादा कु हुक्का
अर खांदा मा मेरी बीड़ी रखी छं।।।
शुब्बी (S h U b B i )
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