मैं ऐसा तो नहीं

तेरे पलकों को तेरे अपनों की निगाहों में झुका दे ।
मेरी चाहत अब भी इतनी बेदर्द  नहीं।।

भरे बाजार में बेपर्दा कर दे तेरी मेरी मोहब्बत की दास्ताँ को
मैं अब भी  अपनी हसरतों को इतना खुदगर्ज नहीं।।।

इश्क़ मेरा आज भी पानी सा निश्छल हैं
गुरुर रंगों का  पल दो पल से स्थिर नहीं ।।

बेहया बेकदर बेरहम ही सही निगाहों में आपकी
बेपर्दा करूँ बेवजह की बातों को मैं इतना मगरूर नहीं ।।

वक़्त से जाना हैं मैंने कद्र करना तिनके तिनके की
जल जाये इश्क़ की बस्ती तेरी ये मेरा फ़ितूर नहीं।।

प्यास नहीं बुझे पानी से कोई गम नहीं
शराब की बूंदों को तेरा घर नीलाम हो ये अब भी मंजूर नहीं ।।

ख़्वाबों को संजोना सीखा वक़्त वेवक्त की खुशियों को छोड़कर
उस मिट्टी की गुल्लक को तोड़ दूँ अपने लिये आदत नहीं ।। 

तू कल वही थी कल भी वही रहना मेरे लिये
मैं तेरे लिये बदल जाऊँ रूह को ये मेरे मंजूर नहीं ।।

www.baaduli.blogspot.com

शुभिशा

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

श्री घण्टाकर्ण गाथा - १

श्री घण्टाकर्ण गाथा २

दिन का चैन रातों की नींद तुम चुरा लो।।कुछ यूं निग़ाहें तुम हम से मिला लो ।।ये बेगाना भी अपना हो जाये तुम्हाराकुछ यूँ मेरे हाथों को अपने हाथों में थाम लो।।