आखरी सफर
बातें बहुत है जो तुमसे कहनी है । वह जो साथ था उसे हर पल निभाना है मैं जब भी उन लम्हों को याद करता हूं जो तुम्हारे साथ बिताए है बस यूंही उन लम्हों में खो जाता हूं जहां केवल तुम और मैं थे और ये सारा जहां खोया था ।।
वो तुम ने कहा था ना की खुद के स्पेस में रहना सीख लिया तो हां शायद मैं भी अब तुम से ये सिख गया हूं ।। फर्क बस अब इतना सा रह गया है ना , मेरे अधूरे सपनों का जहां है, मैं हूं , तुम भी हो उसी जहां में बस हर बार जब भी तुम्हे करीब से महसूस करने की कोशिश करता हूं तुम अब भी दूर ही नज़र आते हो।
मेरे कभी ना मुकम्मल होने वाले इन ख्वाबों में अब भी वो सब यादें हमेशा के लिए कैद है।।
तुम्हारी वो नर्म सी सांसे जो तुम्हारी आंखों में डूबे मुझे किसी संगीत की मधुर धुन सा पल पल ह्रदय में और गहराई में समाती जाए।।
वो तुम्हारे ओठों की हल्की सी कंपकंपी , तुम्हारे और करीब ले आती है । बस यूंही तुम्हे निहारते हुए बिना पलके झपकाए तुम्हारे चेहरे को अनन्तकाल के लिए इन आंखों में सजोकर रखा है। तुम्हारी हर धड़कन को अपने सीने में महसूस किया है।। जब भी तुम मेरे हाथ को अपने हाथों में थामती थी हर पल ये अहसास हुआ है की तुम से ही मेरी दुनिया है और मैं तुम्हारी इसी दुनिया में सदैव के लिए कैद होना चाहता हूं ।।
तुम्हारी बाहों में लेटे तुम्हारी जुल्फों में अपनी उंगलियां घुमाते तुम्हे एकटक लगाकर देखना , तुम्हारी बातों में निरंतर प्रेम महसूस करते हुए समय का पता ना चल पाना आज भी वैसा ही है । मैंने भी तुम से बहुत सी बातें कहनी है , जब तुम से बातें नही होती है तो हरपल बस तुम्हारा ही ख्याल इस मन में रहता है। बहुत साल हो गए है तुम्हे देखे बिना बदल तो बहुत कुछ गया होगा तुम्हारे लिए भी सिवा मेरे ।।
तुम्हे हर वो बात कहनी है जो बस मेरे दिल में हमेशा दबी ही रहती है ।।
हां जानता हूं की कभी तुम्हारी खुलकर तारीफ नहीं की है । तुम्हारे कानों के झुमके अब भी तुम्हारे बालों में उलझते होंगे बालों को संवारते तुम्हारे झुमको के लिए नकली गुस्सा तुम्हारे चहेरे पर अब भी जंचता होगा?
वो मासूमियत तुम्हारे चहेरे की अब भी ऐसी ही बरकार होगी ?
हां तुम्हे बताया है पर तुम साड़ी में हमेशा जंचती हो ।
अब तो तुम्हे सही से साड़ी बांधना भी आगया होगा ?
तुम्हारे लिए मैंने झुमके , घड़ी ,कंगन रखे है अब तक संभाल कर तुम एक बार पहन कर दिखाना ।।
हां बताना है तुम्हें की तुमसे दूर होकर भी मैं उन रास्तों के सफर पर कई बार गया हूं । रास्ते यूंही मुझे सफर करवाते रहे पर तुम्हारे तक कभी पहुंचा ना सके । रास्ते भी शायद किसी के इंतजार में अपनी पलके बिछाए हमेशा के लिए वही बसगए है।।
ये मन तो बहुत करता है सब बंधनों को तोड़ कर तुम्हारे जहां में लौट जाऊं पर तुम्हे यूं भी नही देख सकता हूं खुद से दूर होते हुए।।
आज समय है , प्रेम है पर तुम नहीं हो ।
ये तन्हा सी राते है जो इन सुख चुकी आंखों से भी तुम्हारे ख्वाब देखती है ।
एक हृदय है जो बस इसी ख्वाईस में धड़क रहा है की एक दिन तुम मिलोगे और ये आखरी धड़कन तुम्हे महसूस कर ले ।। तुम्हारे सीने से लग कर मैं अपनी इस अधूरी दुनिया को पूरा कर हमेशा के लिए इसी दुनिया में खोना चाहता हूं।।।
हां सफर कुछ खट्टा कुछ कड़वा रहा है मेरा पर तुम्हे मिलकर मंजिल की आखरी सीडी पार करना चाहता हूं ।।
अब बहुत थक गया हूं मैं तुम्हे दूंढते दूंढते, रातों की नींद में भी तुम्हे खोने के डर से सोया नही हूं दिन भर तुम्हारी फिक्र से चैन नहीं मिलता ।।
हां इस जन्म का सफर मेरा तुम्हारे साथ वर्षों पहले ही खत्म हो चुका है पर जिंदगी का सफर भी तो तय करना है।। ये जिंदगी तुम्हारा हाथ पकड़ कर नही जी सके तो क्या तुम्हारी बाहों में मरने की ख्वाइश तो मांग ही सकते है।।
@शुब्बी भोले भण्डारी
www.baaduli.blogspot.com
@शैलम
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