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तेरा हूँ और तेरा हो कर रहना चाहता हूँ ।।

तेरा हूँ और तेरा हो के रहना चाहता हुँ।। ना चाँद सा चेहरा चाहता हूँ ।।।  ना चांदी सा रूप चाहता हूँ ।।। ना मृग तृष्णा कस्तूरी की चाहता हूँ  ना सरगम सुरों का चाहता हूँ ।।। ना महक फूलों की चाहता हूँ ।। ना भवँरे से रस को चाहता हूँ ।।। ना मिठास शहद की चाहता हूँ ।।। ना वाणी कोयल की चाहता हूँ ।।। ना चाल मोरनी की  चाहता हूँ ।।। ना रंग मोती का चाहता हूँ ।।। ना तेरा रूप , रंग , यौवन की चाह रखता हूँ।।। मैं तो बस हंस के जोड़े से तेरा साथ चाहता हूँ ।।। शुब्बी

दिन का चैन रातों की नींद तुम चुरा लो।।कुछ यूं निग़ाहें तुम हम से मिला लो ।।ये बेगाना भी अपना हो जाये तुम्हाराकुछ यूँ मेरे हाथों को अपने हाथों में थाम लो।।

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दिन का चैन रातों की नींद तुम चुरा लो।। कुछ यूं निग़ाहें तुम हम से मिला लो ।। ये बेगाना भी अपना हो जाये तुम्हारा कुछ यूँ मेरे हाथों को अपने हाथों में थाम लो।। #Shubbi

एक सिख मेरी गीता से

महाभारत के युद्ध में जहां एक ओर भीष्मपितामह , गुरु द्रोणाचार्य , कृपाचार्य ,कर्ण , कूटनीतिक सकुनि दुर्योधन , श्रीकृष्ण की सेना और ना जाने देश के कितने महारथी थे दूसरी ओऱ पांड...

एक सिख मेरी गीता से

महाभारत के युद्ध में जहां एक ओर भीष्मपितामह , गुरु द्रोणाचार्य , कृपाचार्य ,कर्ण , कूटनीतिक सकुनि दुर्योधन , श्रीकृष्ण की सेना और ना जाने देश के कितने महारथी थे दूसरी ओऱ पांड...

भिंड्डी खाण कु जोगी बणी छो

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भिण्डडी खाण कु जोगी बणी छो भिण्ढ़डी खाण कु जोगी बणी छो पैले  बासा भुखु रयों। द्ववी पैसा कमाणा कु नेता बणी छो डबल इंजन नीति की भेंट चडियों।। साल द्वि तीन्यों बटीन बस्गयाली म...

मज़ाक अब बस करों देश एक परिवार हैं

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#आर्टिकल 370 #35A सम्पूर्ण देशवासियों को सर्वप्रथम बधाई आपके एक एक वोट की क़ीमत  मोदी सरकार द्वारा सही तरीके से उपयोग की गयी हैं।। एक देश एक संविधान।। धारा 370 और 35A के समापन के बाद कश्...

लिखा क्या एक जज़्बात ख़त नहीं ख़ता हो गयी ।।।

लिखा क्या एक जज़्बात ख़त नहीं ख़ता हो गयी ।।। आज समेट कर उन सभी लम्हों को पिरोया मैने इश्क़ के धागे में प्रेम की स्याही से एक कोरे कागज पर लिख दिये जज़्बात जो अनकहे से थे।। कहाँ से लिखूँ क्या सोच कर लिखुँ तेरी तारीफ किस किस से करूँ चाँद से करता तो अमावस का भय था । फूलों से करता तो  भँवरे का डर था। रवि से कैसे करता तपिस उस में थीं भोर से करता संध्या भी तेरी ही थी।। संगीत से करता तो करुणा भी होती रति से करता तो वासना भी होती। शब्दों से करता तो कठोरता भी होती नदी से करता तो चंचलता भी होती।। राधा से करता तो श्याम में न था ।। सीता से करता तो राम में न था।। सोचा बस एक ख़ता कर देता हूँ । आज इन ख्यालों को हक़ीक़त कर ही देता हूँ कह देता हूँ साफ साफ तुझ से हृदय की पुकार को , लिख देता हूँ एक पन्ने पर दिल की बातों को कहाँ से सुरु करूँ ये ख़्याल अब भी वैसा ही था। जब तुम मिले थे जो हाल तब इस दिल का था। सब कुछ हो तुम अब मेरी बस इतना सा मुझे लिखना था। सांसो में बस गए हो अब तुम इतना सा ही तो कहना था।। शब्द ना थे ये बयां करने को या मैं तेरी यादों में इतना खोया था। रात से सुबह हो गयी...