तेरा हूँ और तेरा हो कर रहना चाहता हूँ ।।
तेरा हूँ और तेरा हो के रहना चाहता हुँ।। ना चाँद सा चेहरा चाहता हूँ ।।। ना चांदी सा रूप चाहता हूँ ।।। ना मृग तृष्णा कस्तूरी की चाहता हूँ ना सरगम सुरों का चाहता हूँ ।।। ना महक फूलों की चाहता हूँ ।। ना भवँरे से रस को चाहता हूँ ।।। ना मिठास शहद की चाहता हूँ ।।। ना वाणी कोयल की चाहता हूँ ।।। ना चाल मोरनी की चाहता हूँ ।।। ना रंग मोती का चाहता हूँ ।।। ना तेरा रूप , रंग , यौवन की चाह रखता हूँ।।। मैं तो बस हंस के जोड़े से तेरा साथ चाहता हूँ ।।। शुब्बी