संदेश

आज़माया तूने

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जानता हूँ बहाने प्यार के आज़माया  मेरी दोस्ती को तूने प्यार के अफ़साने बहुत हैं पर आज एक दोस्त को रुलाया तूने।।

चाहत

कुछ पाना बाकी रह गया किसी को मुस्कुराना बाकी रह गया । कुछ सपने अधूरे रहेंगे कुछ के ख़्वाब न रहेंगे।। बेसक सपने पूरे ना कर सका जो आंखों ने सँजोये थे । कुछ के अंकुर उग आये , कुछ अभ...

मौत

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मन उदास हैं आंखे छलक रहीं हैं। कारण कुछ नहीं फिर भी अजीब सा दर्द हैं लगता हैं अंत का यही आरम्भ हैं । अंत करीब हैं। जिंदगी ना सही अपनी पसंद की शुभी मौत शायराना हैं मौत शायराना ह...

तुझे पाने की

नहीं तम्मना चाँद या सितारों को पाने की। नहीं कोई हसरत मुरझाए फूलों को खिलाने की। ओ साथी  हर कदम तेरा मेरा साथ हों बस चाहत हैं तेरे मेरे एक हो जाने की।।

द्वी घड़ी

खेल निरालु च वक़्त कु शुब्बी कभी द्वी घड़ी नि होंद क्वी गैल।। कभी दगड होंद भी नि ह्वे मेल।।। www.baaduli.blogspot.co.in

घौर बौडी जा

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भूली बिसरी गयी अपर बार त्यौहार ना पंचमी याद आंदि ना मकरेणि गंगा स्नान कु जांदी । ना बग्वाली का भेला याद छंन ना तांदी झुमेलों । ना अब गुलाबन्द ना आपरी थौल मेलु की याद गौला की हंसुली ना हातियों की धगुली । ना याद चा शिव कु मैती रोण कु ना याद चा नन्दा की धियाण होण कु ना याद चा चैत का फुलारी कु ना याद चा ब्यो मा की मांगली कु। ना अब गौं मा रामलीला होंदी ना अब पण्डों का पवाडा लग्दिन। ना नरसिंग अब दोष लगदु ना नगर्जा अब गौं मा नाचदु।। ना माधो भण्डारी अब बीर भड़ रे ना जीतू बगड़वाल अब बाँसुरिया रे ना घसेरी अब गीतु भौंण पुरेन्दिन ना घुघुती हिलांश डालियों बासदन ना तीलू रौतेली जणि क्वी बाला ह्वे ना रामी जणि क्वी नारी ह्वे ५२ गढ़ भी अब सुनपट विरान छंन घौर कुड़ियों मा मूसा बिराला भी नि छंन ना ग्वेरु कु बाँसुरी सुणेन्दी ना हल्या कु हलकरु भी नि चित्यदु ना दे-दादी की कथा-कहानी रे ना बाटा-घाटा भुत भेरू रें।। ना औजी अब बारू त्यौहारु पर ढोल बजोंदीन ना क्वी अब दाना-स्याणों मुख लगोंदीन ।। ना गढ़वाली भाषा बोली समझ औंदी ।। ना हम तें अब गौं मुल्के सुध-बुध रौंदी।। अरे औंदी किले नि याद ...

फौजी दगड़िया भाग-२ प्रोमो

बहुत बहुत आभार आपका इतग्या प्यार का वास्ता। सदा आपरु प्रेम ईनी बनायीं रख्या। फौजी दगड़िया भाग-2 पूर्ण जल्दी ही आपका मध्य होलु तब तक इंतजार करा जरा सी अर हाँ बिसरी ना जाया तब त...