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तुम्हें भुला रहा हूं, Journey That Never End's!

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तुम्हें भुला रहा हूं, Journey That Never End's! वो आहिस्ता आहिस्ता सी कानों में गूंजती संगीत की धुन , जगजीत सिंह की दिल को छूने वाली मधुर आवाज, दबे होंठो में  सुलगता गांजा , हाथों में शराब  , आंखो में बसाई किसी की तस्वीर को आंसुओं से सींचते हुए ।। दिल दिमाग़ में तुम्हे ही सोचते , बस किसी उधेड़ बुन में खुद से बात करते कभी होठों पर तुम्हारी प्यारी मुस्कान से हसीं होती अगले ही पल तुम से दूर होने की उदासी,  अपनी ही यादों में खोया मैं अब भी याद करता हूं हर पल  तुम्हें  की काश तुम साथ होती अभी तो मैं यूं ना होता ।।। ना मौन सा ये चांद रातों को अकेलेपन का अहसास करवाता  , ना ये नींद को दुश्मन अपना बना लेते ।। धीमे धीमे तुम्हारी यादों से खुद को दूर कर रहा तुम्हे भुलाने को भी तुम्हे याद कर रहा हूं।।

सुनो ना, मैं तुम्हे प्रीत कहूं ?

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सुनो ना,   मैं तुम्हे प्रीत कहूं तुम्हे कोई ऐतराज तो नही ।। तुम में जहां अपना देखूं तुम नाराज़ तो नही ।। डूब कर इन निगाहों में ,लहराती जुल्फों को सवारूं,  ख्वाब संजोने सुरु करु मिट्टी की गुलक में अपनी एक झटके में तोड़ने का कोई इरादा तो नहीं।। बाहों का सहारा ले थाम तेरा हाथ चलूं भीड़ में  सफर का हम सफ़र तुम्हे चुन लूं तुम्हे दुनिया की परवाह तो नहीं।। कजरारी अंखियों में डूब कर , भीगे होंठो पर रख उंगली  माथे को तुम्हारे चूम लूं तुम्हे मेरा होने की लज्जा तो नही (तुम्हे मेरा होने में संकोच तो नही) सुनो ना,   मैं तुम्हे प्रीत कहूं तुम्हे कहीं अस्वीकार तो नही ।।

सहम सा गया वक्त का पहिया जैसे

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आहत हैं मेरी भावनाएं इस मर्म परिदृश्य को देख कर सहम सा गया वक्त का पहिया जैसे तीव्र मन की गति सी थी जिंदगी इस महामारी से ठहर सी गयी आभा जैसे सुना था कहीं या पढ़ा था कहीं, हैं परिवर्तन ही प्रकृति का नियम  जूझ रही जब जिंदगी मौत से क्या तेरा मजहब क्या बड़ा मेरा धर्म जो जीने की राह दिखाये जो नव आशा का अंकुर उगाये  डोलती सागर की लहरों में जो कस्ती जीवन की पार कराये ढूंढ उस जीवन की किरण को ढूंढे अपनी जननी को जैसे सहम सा गया वक्त का पहिया जैसे अनंत अंतरिक्ष की खोज में इस मूल धरा को भूल गये  उड़ने चले थे आसमां में बेतहासा आज दलदल में धंस गये करते रहे बेघर उन बेज़ुबानों को खुद का घर जला गये जला मन की बुराई को इस अग्नि में तू घृत के जैसे सहम सा गया वक्त का पहिया जैसे कोई ना कोई तो जाग रहा हैं इस विकट घोर अंधेरी रातों पर  दिन रात एक करके जो लगे हैं तेरे लिए तू उनपर एक उपकार कर  समेट ले खुद को घर में अपने शिशु माँ की गोद में जैसे सहम सा गया वक्त का पहिया जैसे तुझे ही ख़ुद लड़ना हैं तुझे ही खुद विजय श्री होना हैं तुझे ही फ़िर एक दिन इस देश को विश्व गुरु बनाना हैं ख़ुद सं...

तेरा हूँ और तेरा हो कर रहना चाहता हूँ ।।

तेरा हूँ और तेरा हो के रहना चाहता हुँ।। ना चाँद सा चेहरा चाहता हूँ ।।।  ना चांदी सा रूप चाहता हूँ ।।। ना मृग तृष्णा कस्तूरी की चाहता हूँ  ना सरगम सुरों का चाहता हूँ ।।। ना महक फूलों की चाहता हूँ ।। ना भवँरे से रस को चाहता हूँ ।।। ना मिठास शहद की चाहता हूँ ।।। ना वाणी कोयल की चाहता हूँ ।।। ना चाल मोरनी की  चाहता हूँ ।।। ना रंग मोती का चाहता हूँ ।।। ना तेरा रूप , रंग , यौवन की चाह रखता हूँ।।। मैं तो बस हंस के जोड़े से तेरा साथ चाहता हूँ ।।। शुब्बी

दिन का चैन रातों की नींद तुम चुरा लो।।कुछ यूं निग़ाहें तुम हम से मिला लो ।।ये बेगाना भी अपना हो जाये तुम्हाराकुछ यूँ मेरे हाथों को अपने हाथों में थाम लो।।

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दिन का चैन रातों की नींद तुम चुरा लो।। कुछ यूं निग़ाहें तुम हम से मिला लो ।। ये बेगाना भी अपना हो जाये तुम्हारा कुछ यूँ मेरे हाथों को अपने हाथों में थाम लो।। #Shubbi

एक सिख मेरी गीता से

महाभारत के युद्ध में जहां एक ओर भीष्मपितामह , गुरु द्रोणाचार्य , कृपाचार्य ,कर्ण , कूटनीतिक सकुनि दुर्योधन , श्रीकृष्ण की सेना और ना जाने देश के कितने महारथी थे दूसरी ओऱ पांड...

एक सिख मेरी गीता से

महाभारत के युद्ध में जहां एक ओर भीष्मपितामह , गुरु द्रोणाचार्य , कृपाचार्य ,कर्ण , कूटनीतिक सकुनि दुर्योधन , श्रीकृष्ण की सेना और ना जाने देश के कितने महारथी थे दूसरी ओऱ पांड...