रिश्ते बनाने से नहीं निभाने से सवर्ते हैं जिस तरह पौधा सिर्फ लगाने से नहीं सिचनें से पेड़ बनता हैं
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ये अल्फाज भी बहुत कुछ कहते हैं मगर जो आँखे समझा सकती हैं वो कोई और क्या
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स्वागत चा आपकु मेरा ब्लॉग मा जख आप तें मैं अपणी तरफ बटी हिन्दी अर गढ़वाली मा आपका मनोरंजन की कोशिस कल्लू।। आपकु अपणु शुब्बी ॥ उत्तराखण्डी गढ़वाली और हिंदी कहानियों ,कविताओं , शायरी को पढ़ने के लिये बाड़ूली ब्लॉग में आपका अभिनंदन हैं।