बताऊं मैं कैसे ?
तुम्हारे होने ना होने की अहमियत को, समझाऊं मैं कैसे तुम्हें?
एक बस तुम्हारे ना होने का असर क्या है
बिना बारिश के चातक के हाल को, बतलाऊं कैसे तुम्हें?
हर सांस, हर धड़कन, तुम्हारे बिना अधूरी सी लगती है, समझाऊं मैं कैसे तुम्हें?
तुम्हारे साथ की खुशबू, हर सुबह में मिलती है, बतलाऊं कैसे तुम्हें?
तुम्हारे ना होने में, जीवन सुना सुना सा है, कैसे बतलाऊं तुम्हें?
बिना तुम्हारे, मेरी जिंदगी एक सूखा समंदर है, तुम्हें कैसे बतलाऊं?
तुम्हारे बिन, जीवन एक अधूरी किताब है, समझाऊं मैं कैसे तुम्हें?
तुम्हारे ना होने की अहमियत, मेरे दिल के दर्द की कहानी है, बतलाऊं कैसे तुम्हें?
बिना तुम्हारे, ये दुनिया सिर्फ एक रंगीन सपना है, समझाऊं मैं कैसे तुम्हें?
तुम्हारे बिना, मेरा हृदय बस विरही मन है, कैसे बतलाऊं तुम्हें?
तुम्हारे ना होने की अहमियत, मेरे लबों से कभी ना कहीं जा सकेगी, समझाऊं मैं कैसे तुम्हें?
बिना तुम्हारे, मेरा जीवन बस एक व्याकुल कविता है, कैसे बतलाऊं तुम्हें?
तुम्हारे बिन, मेरी कल्पनाओं का कोई अर्थ नहीं है, समझाऊं मैं कैसे तुम्हें?
तुम्हारे ना होने की अहमियत, मेरे जीवन की सबसे बड़ी कसौटी है, बतलाऊं कैसे तुम्हें ?
तुम्हारे बिना,मेरी जीवन व्यर्थ सा है,
समझाऊं मैं कैसे तुम्हें?
मेरे दिल में बसी हर सांस तुम्हारे लिए है,
बतलाऊं मैं कैसे तुम्हें?
तुम्हारे बिना, मेरी जिंदगी बस सांसों की डोरी है,
समझाऊं मैं कैसे तुम्हें?
बस तुम ही, मेरे ह्रदय की सबसे गहरी धड़कन हो,
बतलाऊं मैं कैसे तुम्हें?
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