संदेश

मार्च, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

फुलदेई लोकपर्व #फुलदेई #लोकपर्व

चित्र
फुलारी फूल देई क्षमा देई पावन पर्व की बहुत-बहुत बधाइयां एवं हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🙏💐 फूलदेई भारत के उत्तराखण्ड राज्य का एक स्थानीय त्यौहार है, जो चैत्र माह के आगमन पर मनाया जाता है। सम्पूर्ण उत्तराखंड में इस चैत्र महीने के प्रारम्भ होते ही अनेक पुष्प खिल जाते हैं, जिनमें फ्यूंली, लाई, ग्वीर्याल, किनगोड़, हिसर, बुराँस आदि प्रमुख हैं । चैत्र की पहली गते से छोटे-छोटे बच्चे हाथों में कैंणी (बारीक बांस की) कविलास अर्थात शिव के कैलाश में सर्वप्रथम सतयुग में पुष्प की पूजा और महत्व का वर्णन सुनने को मिलता है. पुराणों में वर्णित है कि शिव शीत काल में अपनी तपस्या में लीन थे ऋतू परिवर्तन के कई बर्ष बीत गए लेकिन शिव की तंद्रा नहीं टूटी. माँ पार्वती ही नहीं बल्कि नंदी शिव गण व संसार में कई बर्ष शिव के तंद्रालीन होने से बेमौसमी हो गये. आखिर माँ पार्वती ने ही युक्ति निकाली. कविलास में सर्वप्रथम फ्योली के पीले फूल खिलने के कारण सभी शिव गणों को पीताम्बरी जामा पहनाकर उन्हें अबोध बच्चों का स्वरुप दे दिया. फिर सभी से कहा कि वह देवक्यारियों से ऐसे पुष्प चुन लायें जिनकी खुशबू पूरे कैलाश को महका...

आज सुपिन्यों मा देखी गौ की होली ।।

चित्र
आज सुपिन्यों मा देखी गौ की होली  राते होलिका दहन दिन की छरोली बौडी काकी का मुख कु गुलाल  भैजी बौजी की मुखुड़ी पीली लाल स्यालि ते रंगनो जीजा का मन कु उलार फूलों सी फुल्यारी या स्वाणी छरोलि ।। आज सुपिन्यों मा देखी गौ की होली  राते होलिका दहन दिन की छरोली दूर डांडियों मा लाल बुरास भी दमकनु छो पीली फ्योली का मन ते भी रिझोनू छो बसंत की बयार मा प्यार का रंग उड़ोनू छो रंगो का बहार की या छरोली।। आज सुपिन्यों मा देखी गौ की होली  राते होलिका दहन दिन की छरोली छोटा ग्वैर भी आज रंगमत होया छा  गोरु का मोल मा लतपत बनया छा वल्या पल्या खोला फुरपत लगया छा छोटा दाना ज्वानो की या छरोली आज सुपिन्यों मा देखी गौ की होली  राते होलिका दहन दिन की छरोली बैख बांद भी गीतू भौंन मा झूमना दयूर भौजी ते रंगनो ते तरसना ढोल की थाप मा अहा सभी भलु नाचना बसंत का गीतू की या छरोली आज सुपिन्यों मा देखी गौ की होली  राते होलिका दहन दिन की छरोली सुपिन्यु टूटी ग्यायी मेरु मोटरू का शोर सी गौ अब दूर ह्वेगि कटी पतंग का डोर सी यादों की पीड़ा मा नाचदू रैगे मन बोण का मोर सी बस अब पीड़ा ही द...