मेरा कसूर
मेरा कसूर बस इतना था खुद से ज्यादा उसको प्यार किया था
लाख बार भरोसा टूटा लेकिन फिर भी उस पर भरोसा किया था ।।
धोखे मिले थे हर बार मगर सब से अलग तुम्हे माना था ।।
दौलत शोहरत के आगे मेरा प्यार तुमने कहां पहचाना था ।।
उस मोड़ पर खड़ा कर के मुझे छोड़ दिया तुमने
जहां सब कुछ लुटा कर भी तुम्हे गवां दिया हमने
मोहब्बत की हर हद को पार कर के जाना हैं
जब तक आखिरी सांस होगी तुझमें ही जीना हैं ।।।
तुम तोलना कभी दौलत से मोहब्बत मेरी
हर वक्त कीमत ऊंची होगी प्यार की मेरी ।,
क्या हुआ दुनियां में जो तुम कहने को साथ मेरे ना रहोगे
आखिरी सांस तक देखना मेरी सांसों में सिर्फ तुम बसे रहोगे।।
ये देह तो बेशक दूर हो जायेगी तुम से आत्मा का क्या करोगे
जन्मों का रिश्ता है तुम से कहो ना कब हमें खुद से दूर रखोगे
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें