दिन का चैन रातों की नींद तुम चुरा लो।।कुछ यूं निग़ाहें तुम हम से मिला लो ।।ये बेगाना भी अपना हो जाये तुम्हाराकुछ यूँ मेरे हाथों को अपने हाथों में थाम लो।।
दिन का चैन रातों की नींद तुम चुरा लो।।
कुछ यूं निग़ाहें तुम हम से मिला लो ।।
ये बेगाना भी अपना हो जाये तुम्हारा
कुछ यूँ मेरे हाथों को अपने हाथों में थाम लो।।
#Shubbi
सरल भाषा में समझाया है। बहुत अच्छा लिखा है। इसे भी पढ़ सकते है। देवभूमि उत्तराखंड
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